Market Cap: मार्केट कैप क्या है? जानिए फुल जानकारी

Market Cap. अभी तक आप ने शेयर खरीदें या फिर शेयर मार्केट में निवेश किया तो जरुर होगा। नही भी किया जिससे निवेश के ओर बढ़ना चाहते हैं। तो मार्केट केपीटलाइजेशन के बारे में जारुर जानना चाहिए। आखिर क्या है मार्केट केपीटलाइजेशन आज के इस लेख में हम जानने वाले है। दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी कौन सी है मार्केट कैप के हिसाब से तो एप्पल का नाम आता है। एपल दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है यह कितनी बड़ी कंपनी है रिलायंस, टीसीएस, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक अगर इन सभी कंपनी को हम मिला तो इसे भी बड़ी कंपनी है।

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Market Cap: मार्केट कैप क्या है?

आप के मन में चल रहा होगा, कि आखिर कोई भी कंपनी कितनी बड़ी है। इसे कैसे समझा जाता है। तो इसे समझने के लिए हमें जानना होगा मार्केट केपीटलाइजेशन क्या होता है। मार्केट कैप के हिसाब से निवेशक अपना निवेश करते हैं। यहां पर लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप होते है।

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Market Cap: निकालने का फॉर्मुला

मार्केट कैप किसी भी कंपनी का साइज पता करने के लिए इन्वेस्टर्स उसे कंपनी का मार्केट कैप के बारे में पहले पता करते हैं। मार्केट कैप का फॉर्मूला है। कंपनी का शेयर प्राइस मल्टीप्लाई कंपनी के टोटल नंबर ऑफ शेयर्स। एग्जांपल के तौर पर हम मान लें, कि एक कंपनी के पास 50,000 शेयर हैं। और प्रति शेयर ₹100 की क्लोजिंग प्राइस के साथ, अब कंपनी की कुल मार्केट कैप की गणना ऐसे होगी।

  • मार्केट कैप =कंपनी के शेयरों की संख्या x प्रति शेयर ₹100 की क्लोजिंग प्राइस
  • = 50,000 x  100
  • =50,00,000

जब भी आप ने शेयर मार्केट के कारोबार दिन जरुर सुना होगा।  कंपनी का मार्केट कैप इतने कम हो गया बढ़ गया। क्योंकि कंपनी के शेयर में उतार चढ़ाव आते रहते है। जिससे मार्केट कैप भी कम या ज्यादा होता रहा है।

इसे आप को और भी आसान तरीके में बताएं तो हम ऐसे सोचें कि कोई एक कंपनी मुझे पुरी खरीदनी है तो मुझे उसे कंपनी के कितने पैसे देने पढ़ेंगे ताकि मैं उसे कंपनी का पूरा मलिक बन जाएं जो यहां कपनी को खरीदने के लिए मार्केट केपीटलाइजेशन जितना पैसा देना होगा खैर ये अलग बात हो गई लेकिन अगर निवेश के लिए जा रहे हैं, तो यहां पर आप के लिए मार्केट कैप के कुछ जरुरी बाते पता होनी चाहिए

अब हम जानतें कि मार्केट कैप क्यों इंपॉर्टेंट है मार्केट कैप कितने टाइप का होता है कोई भी इन्वेस्टर्स अपनी इन्वेस्टमेंट जर्नी मार्केट कैप के हिसाब से चुनता है।तो यहां पर आप को   लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप के बारे में जानना होगा।

Market Cap: लार्ज-कैप में स्टॉक

मार्केट कैप निवेशकों को एक कंपनी की वैल्यूएशन करने में मदद करता है। मार्केट कैप से एक कंपनी से दूसरे कंपनी की तुलना भी कर सकते  लार्ज-कैप में स्टॉक वे कंपनी आती हैं, जिसका Market Cap सबसे अधिक होता है।

लार्ज कैप कंपनियों का Market Capitalization ₹20,000 करोड़ रूपये से अधिक होता है। उदाहरण के लिए हम यहां पर रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस, एचयूएल यानि  हिंदुस्तान युनिलीवर लिमिटेड जैसे स्टॉक को लार्ज स्टॉक में जानते है। Large Cap Companies में मार्केट मेंं क्वालिटी सर्विसेज साथ इनका प्रोडक्ट या ब्रांड काफी लोकप्रिय होता है।

ये स्टॉक निवेशक को रेगुलर डिविडेंड के साथ-साथ स्टेबल ग्रोथ को भी दर्शाते है। जो लोग यहां पैसा लगाते हैं तो भरोसा होता क्योंकि Large Cap Share में  निवेश Small Cap या Mid Cap शेयरों में निवेश की तुलना में स्टेबल और अधिक डिफेंसिव माना जा सकता है।

इन Large Cap Share में कम रिस्क के साथ स्थिर रिटर्न मिलता है।  इसलिए ये निवेशक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए अच्छा मानते हैं। जहां इन्वेस्टर्स अपना पैसा लगाते हैं, अगर आप भी निवेश करते हैं कमेंट में हमे बताएं किस कंपनी में आप का पैसा लगा है

Market Cap: मिड कैप स्टॉक

दरअसल मिड कैप स्टॉक वे होते हैं जिनका Market Capitalization Rs. 5,000 – 20,000  करोड़ के बीच में होता है। मिड कैप स्टॉक इंडस्ट्री में स्टेबल कंपनियां होती हैं।

इन कंपनियों के पास तेजी से विकास करने की क्षमता होती है। हालांकि यहां पर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि उनके स्टॉक की कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव होता है।

तेजी से विकास करने की क्षमता के वजह से कई निवेशक यहां पर आकर्षित होते हैं। इन स्टॉक से मिलने वाला रिटर्न कुछ हद्द तक लार्ज कैप स्टॉक से ज्यादा होता है। मिड कैप जो स्मॉल-कैप्स और लार्ज-कैप्स के बीच में स्टॉक्स होते है

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Market Cap: स्मॉल कैप

Small Cap में शामिल कंपनियों का मार्केट कैप लार्ज-कैप, मिड-कैप से कम होती है। ये सभी स्टॉक में सबसे ज्यादा रिस्की होता है। ये वे कंपनियाँ हैं जो अभी तक अपनी इंडस्ट्री में खुद को स्थापित कर रही हैं। Small Cap में शामिल कंपनियों का मार्केट 5,000 Crore से कम होता है।

निवेशकों के लिए ध्यान रखना होता कि यहां पर निवेश करना लार्ज-कैप, मिड-कैप के तुलना में अत्यधिक जोखिम भरा बनाता है। क्योंकि लार्ज कैप या मिड कैप स्टॉक बनने के लिए कई सालों की आवश्यकता होती है। देखा जाए तो आमतौर पर इसमें 10 साल से अधिक समय लगता है। अब आप समझ गए होगें कि मार्केट कैप क्या होता है। 

  • Market Cap कितने प्रकार का होता है?

    Market Cap 3 प्रकार का होता है। जिसमें लार्ज-कैप, मिलकैप और स्मॉल कैप है।

  • Market Cap निकालने का फॉर्मुला का है?

    मार्केट कैप =कंपनी के शेयरों की संख्या x प्रति शेयर ₹100 की क्लोजिंग प्राइस

  • Market Cap कैसे बढ़ता है?

    जब कंपनियों के शेयरों में चढ़ा आता है, तो Market Cap बढ़ता है।

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