IPO Glossary: जानिए आईपीओ में संबंधित इन खास शब्दों का अर्थ

IPO Glossary. अपने फ्यूचर में अच्छी वेल्थ बनाने के लिए हर किसी को निवेश करना चाहिए। आप अपने अनुसार निवेश की जर्नी शुरु करते है। अगर आप का आईपीओ में निवेश करने का प्लान है या करना चाहते हैं। तो आप को IPO से जुड़ी ऐसी कई शब्दावली है, जिसके बारे में आप को पहले से पता होना चाहिए। जिसमें ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस, ऑब्जर्वेशन लेटर, रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस , इक्विटी शेयर,  जैसे शब्द कई होते है। तो चलिए यहां पर इनका मतलब बताते हैं।

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IPO क्या है

दरअसल आप अभी तक IPO के बारे में तो जरुरी जानते होगें, हालांकि इसके बारे में जानकारी बता दें कि इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) एक कोई कंपनी पहली बार पब्लिक को नए स्टॉक के शेयर जारी करने की प्रक्रिया है। कोई फर्म आईपीओ के माध्यम से सामान्य लोगों से इक्विटी फंडिंग जुटा सकती है। जिसे एक्सचेंज पर लिस्ट होना होता है। हम आगे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) में प्रयोग होने वाले शब्दों के बारे में बात कर रहे है।

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ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस

IPO की शुरुआत कोई कंपनी शेयर मार्केट रेगुलेटर फर्म सेबी के पास में डॉक्यूमेंट जमा करती हैं, जिसे ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस भी जहा जाता है। जिसमें कंपनी के शेयर बेचकर जनता से पैसे जुटाने की योजना होती है। निवेशकों के लिए यह डॉक्यूमेंट बहुत ही खास और उपयोगी है। क्योंकि यह कंपनी के बिज़नेस ऑपरेशन, फाइनेंशियल, प्रमोटर और IPO फाइल करके फंड जुटाने के लिए कंपनी के उद्देश्य के बारे में विस्तृत जानकारी होती है।

ऑब्जर्वेशन लेटर

जब सेबी के पास से कंपनी को आईपीओ की मंजूरी मिल जाती है, तो यहां पर सेबी ऑब्जर्वेशन लेटर जारी कर देती है। जिसका मतलब है। कि कंपनी को एक साल के भीतर अपना आईपीओ लॉन्च करना होगा।

रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (आरएचपी)

यह निवेशकों के लिए काफी अहम होता है। कि क्योंकि रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में मूल्य बैंड और इश्यू साइज साथ एक अंतिम प्रॉस्पेक्टस है, जो निवेशकों को प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने की जाती है। जिसे सेबी से अनुमोदन मिलने के बाद और आईपीओ से पहले जारी किया जाता है।

अंडरराइटर

अंडरराइटर एक बैंकर, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन या ब्रोकर होता है, अंडरराइटर कंपनी को आईपीओ के लिए तैयार करने में मदद करता है जैसे जुटाई जाने वाली धनराशि, जारी की जाने वाली प्रतिभूतियों के प्रकार और अंडरराइटर भी कई काम होते है।

इक्विटी शेयर

दरअसल इक्विटी शेयरों को कॉमन स्टॉक, या कॉमन शेयर्स के रूप में भी जाना जाता है। इक्विटी शेयर में पब्लिक को निवेश के अवसर के रूप में पेश किया जाता है। कंपनी यहां पर बताती है कि कितने राशि के फ्रेश इक्विटी शेयर जारी किए जाएं। जिसमें सब्सक्राइब करने को मिलता है।

ऑफर फॉर सेल (OFS) 

ऑफर फॉर सेल या OFS एक ऐसी विधि है जिसमें लिस्टेट फर्मों को एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के माध्यम से शेयर बेचने की अनुमति होती है। जिससे आप ने सुना होगा की कंपनी ने इतने करोंड़ रुपए के शेयर ऑफर फॉर सेल के लिए रखे हैं। 

प्राइस बैंड

आईपीओ में प्राइस बैंड का मतलब आईपीओ पर बिड लगाने वाली एक सीमित रेखा है। जिससे यहां पर मूल रूप से प्रति शेयर की कम कीमत और अपर प्राइस है, जब कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट होगी। दरअसल यह जानकारी आईपीओ के लिए कंपनी द्वारा प्रकाशित  रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में होती है।

शेयर में फेस वैल्यू

किसी स्टॉक की फेस वैल्यू, उस स्टॉक की शुरुआती कीमत होती है। हालांकि किसी स्टॉक या बॉन्ड की फेस वैल्यू, उसके वास्तविक मार्केट वेल्यू को परिभाषित नहीं करती है। actual market value आपूर्ति और मांग के सिद्धांतों पर आधारित होता है।

फिक्स्ड प्राइस आईपीओ

फिक्स्ड प्राइस आईपीओ को उस इश्यू प्राइस के रूप में संदर्भित किया जा सकता है, जिसे कुछ कंपनियां अपने शेयरों की प्रारंभिक बिक्री के लिए निर्धारित करती हैं।

IPO सब्सक्रिप्शन

जब कोई निवेशक IPO में अपनी बिड लगाता हैं, तो सब्सक्रिप्शन कहा जाता है। अगर आप ने किसी IPO सब्सक्राइब किया हैं, तो कंपनी की शेयर मार्केट में लिस्ट होने के बाद में चेक कर सकतें हैं कि आप को आईपीओ में शेयर अलॉट हुए है या नहीं

ओवरसब्सक्रिप्शन

जब किसी आईपीओ में पब्लिक  द्वारा जारी होने वाले शेयरों की संख्या से अधिक एप्लीकेशन आ जाते हैं, तो आईपीओ ओवरसब्सक्रिप्शन बोला जाता है।

लिस्टिंग

लिस्टिंग का मतलब ट्रेडिंग के लिए कंपनी के शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट करना है। आईपीओ के बाद, कंपनी के शेयर जब पब्लिक के बीच कारोबार के लिए उपलब्ध हो जाते है। जिससे शेयर मार्केट के करोबारी दिन ट्रेड कर सकते हैं।

एंकर इन्वेंस्टर

एंकर निवेशक एक संस्थागत निवेशक होता है। जिसे पब्लिक खरीद के लिए इश्यू खुलने से पहले शेयर खरीदने के लिए आमंत्रित किया जाता है। जिससे एंकर निवेशक को पहले आईपीओ में पैसा लगाने को मिल जाता है। इसके बाद में रिलेट निवेशकों मिलता है।

ग्रे मार्केट

ग्रे मार्केट स्टॉक वह होता है, जहाँ कंपनी के शेयर लोगों के द्वारा अनौपचारिक रूप से पेश किए जाते हैं और बोली लगाई जाती है। आप ने खूब सुना होगा की ग्रे मार्केट में आईपीओं कम या उचें कीमत में चल रहा है। ऐसे में ग्रे मार्केट आम तौर पर एक अनौपचारिक मार्केट होता है। जो शेयरों में तब डील करता है। जब ऐसे शेयर आधिकारिक स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट नहीं हुए होते हैं।

कट-ऑफ प्राइस

यह लास्ट प्राइस है जिस पर बुक-बिडिंग IPO में रिटेल इनवेस्टरों को शेयर जारी किए जाते हैं। रिटेल इनवेस्टर कट-ऑफ प्राइस पर बोली लगाने का विकल्प चुन सकते हैं।

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बुक बिल्डिंग

कंपनी अपने शेयरों के लिए न्यूनतम और अधिकतम सीमा के साथ एक मूल्य सीमा निर्धारित करती है। बुक बिल्डिंग प्रक्रिया किसी कंपनी के सार्वजनिक होने पर शेयरों की कीमत निर्धारित करने में मदद करती है। जिससे यहां पर निवेशक इस सीमा के भीतर अपनी बिड लगाते हैं

लॉक-अप पीरियड

कंपनियों कभी-कभी अपने आईपीओ के बाद में शेयर पर लॉक-अप पीरियड लगा देती है। जिससे कंपनी के  अंदरूनी लोगों में कार्यकारी और कर्मचारियों को अपने शेयर बेचने की अनुमति नहीं होती है।अक्सर IPO के 90 से 180 दिनों के बीच होती है। जिससे फायदा यह होता है, कि  यह बड़े पैमाने पर बिक्री के कारण स्टॉक की कीमतों में अचानक गिरावट को रोकता है।

IPO क्या है?

जब कोई कंपनी पहली बार पब्लिक को नए स्टॉक के शेयर जारी करती है, जो इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) कहा जाता है। जैसे कोई कोई फर्म IPO के माध्यम से सामान्य लोगों से इक्विटी फंडिंग जुटा सकती है।

कंपनी आईपीओ के कहां पर दस्तावेज जमा करती है।

अगर कोई फर्म या कंपनी को अपना आईपीओ लाना हैं, जिससे फंड जुटा सकें तो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड से दस्तावेज जमा करने होते हैं।

आईपीओ में अलाउटमेंट कैसे चेक करें?

अगर आप ने कोई कंपनी के आईपीओ के लिए अप्लाई किया हैं, तो यहां पर ब्रोकर की साइट पर जाकर आईपीओ का अलाउटमेंट चेक कर सकते हैं।

कंपनी के आईपीओ में कैसे निवेश करें है?

अगर आप किसी कंपनी के  IPO में निवेश करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए। धन, जिरोधा, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोल सकते हैं।

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